पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत शिक्षकों/ वैज्ञानिकों की सेवाएं समाप्त करने एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों की पेंशन रोकने एवं उन्हें

रिपोर्टर राजीव कुमार

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत शिक्षकों/ वैज्ञानिकों की सेवाएं समाप्त करने एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों की पेंशन रोकने एवं उन्हें विश्वविद्यालय का कर्मचारी न मानने के अव्यवहारिक फैसले पर 24 जुलाई को कृषि मंत्री गणेश जोशी की अध्यक्षता में शासन के संबंधित उच्च अधिकारियों एवं विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर हल निकाला जाएगा।
उक्त जानकारी देते हुए पूर्व विधायक एवं प्रबंध परिषद के पूर्व सदस्य राजेश शुक्ला ने बताया कि उन्होंने माननीय कृषि मंत्री श्री गणेश जोशी के पंतनगर आगमन पर ACRP समेत विभिन्न परियोजनाओं के शिक्षकों /कर्मचारियों के मुद्दे पर अपना विरोध जताते हुए इस फैसले को अव्यावहारिक एवं शिक्षकों/छात्र-छात्राओं के भविष्य पर कुठाराघात बताया तथा कहा कि यदि शासन ने इस निर्णय को वापस नहीं लिया तो विश्वविद्यालय की भारी क्षति होगी तथा भाजपा को भी लोकसभा चुनाव में नुकसान होगा।
कृषि मंत्री ने वहां मौजूद कुलपति से कहा कि ये कैसे हुआ, कुलपति ने भी कहा कि मुझे बताएं बगैर यह आदेश सीधे कंट्रोलर को शासन ने भेज दिया। शुक्ला ने कहा कि यदि शासन से किसी भी कारण यह आदेश आ भी गया तो विश्वविद्यालय को आनन-फानन में शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने की बजाय अपना पक्ष शासन के समक्ष रखना चाहिए था ।
शुक्ला ने कहा कि पूर्व में भी एक बार इस तरह का आदेश आया था तो उन्होंने विधायक रहते विधानसभा में इस मुद्दे को प्रबल तरीके से रखकर तत्कालीन सरकार को ऐसा नहीं करने दिया था।
शुक्ला ने कृषि मंत्री को बताया कि सन 1960 में प्रथम कृषि विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित इस विश्वविद्यालय के पैटर्न पर ही देश के अन्य प्रांतों में कृषि विश्वविद्यालय बने तथा सभी में तभी से यह व्यवस्था चली आ रही है कि रिसर्च के लंबे अवधी की परियोजनाएं जो सालों साल चलती रहती हैं उनमें कार्य करने वाले शिक्षकों/ वैज्ञानिकों को विश्वविद्यालय ही चयन कर नियुक्त करेगा तथा टीचिंग/ रिसर्च /एक्सटेंशन के सिद्धांत के तहत परियोजनाओं में कार्यरत वैज्ञानिक/शिक्षक, रिसर्च, एक्सटेंशन के साथ टीचिंग भी करेंगे तथा परियोजना के समाप्त होने की दशा में विश्वविद्यालय के कार्मिक के रूप में कार्य करेंगे तथा उनकी पेंशन राज्य सरकार देगी।
कुछ वर्षों पूर्व एक वित्त नियंत्रक (कंट्रोलर) द्वारा इन्हें विश्वविद्यालय का कर्मचारी न मानने का निर्णय कराया गया जिसके विरोध में लगातार यह विषय शासन व बोर्ड के समक्ष आता रहा है तथा आज तक इनका अहित नही होने दिया गया।
हाल ही में जो शासनादेश आया है, यह विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों/ जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का परिणाम है, परंतु इससे इन वैज्ञानिक/ शिक्षकों के साथ- साथ उन छात्रो का भविष्य भी अधर में लटक जाएगा जो छात्र इन शिक्षकों के दिशा निर्देश में रिसर्च कर रहे हैं।
कृषि मंत्री ने शुक्ला की पूरी बात को गंभीरता से सुना, इसका संज्ञान लेते हुए यह निर्णय लिया कि 24 जुलाई को सायं 4:00 बजे विधानसभा सचिवालय में मंत्री जी की अध्यक्षता में एक बैठक करके इसका हल निकाला जाएगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव, सचिव कृषि शिक्षा, सचिव वित्त सहित प्रबंध परिषद में विधायक सदस्यों एवं पूर्व प्रबंध परिषद के सदस्य राजेश शुक्ला तथा पूर्व कृषि सचिव हरबंस चुघ को भी आमंत्रित किया जाएगा तथा विश्वविद्यालय के कुलपति, वित्त नियंत्रक एवं रजिस्ट्रार के साथ-साथ दोनों विधायक शिव अरोड़ा व मोहन सिंह बिष्ट जो प्रबंध परिषद के सदस्य हैं उन्हें भी बैठक में बुलाया जाएगा। कृषि मंत्री के समक्ष शुक्ला द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के दौरान कुलपति भी मौजूद थे जिन्होंने इस बात का समर्थन किया और कुछ देर बाद विधायक रुद्रपुर सदस्य प्रबंध परिषद शिव अरोड़ा वहां पहुंचे तथा उन्होंने भी शुक्ला की मांग का समर्थन किया।
पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने कहा कि 24 जुलाई की बैठक से इस मामले के हल होने की पूरी संभावना बन गई है।

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