बुक्सा समुदाय की अटूट आस्था का केंद्र है रामबाग का प्राचीन शिव मंदिर

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महाशिवरात्रि के अवसर पर लगता है छह दिनी मेला
-तैयारियां पूरी

दिनेशपुर। तराई के आदिवासी बुक्सा जनजाति समुदाय की अटूट आस्था का केंद है रामबाग स्थित पौराणिक प्राचीन शिव मंदिर।महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रतिवर्ष यहां बड़ी संख्या में कांवड़ियों के साथ श्रद्धालु मंदिर में स्थित प्राचीन शिवलिंग में जलाभिषेक के लिए जुटते हैं। मान्यता है कि तकरीबन 300 साल से अधिक प्राचीन इस शिवालय में भक्तों के द्वारा मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती है। इस दौरान यहां छह दिनी मेला भी लगता है। जिसकी तैयारियां शुरू हो गई है।
मंदिर की स्थापना वर्तमान पुजारी चंदू सिंह लखचैरासिया के परदादा के परदादा केदारनाथ ने की थी। चंदू सिंह के अनुसार संतान नहीं होने पर केदारनाथ ने हिमालय में जाकर 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की थी। तपस्या के दौरान स्वयं महादेव ने उन्हें दर्शन दिए और चंदायन स्थित उनके निवास से चार किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर एक ऊंचे टीले में मौजूद एक शिवलिंग को ढूंढकर वहां एक मंदिर की स्थापना करने पर सभी मनोकामना पूरी होने की बात कही थी। उस दौरान तराई में घने जंगलों में केवल आदिवासी बुक्सा जनजाति के लोग निवास करते थे। केदारनाथ ने हिमालय से लौटकर ग्रामीणों के साथ मिलकर रामबाग स्थित टिले से शिवलिंग को ढूंढ निकाला, और उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कर शिवलिंग की स्थापना की। जिसके बाद उनका वंश आगे बढ़ा। बाद में चंदू सिंह के परदादा कल्याण सिंह ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।तभी से यहां प्रतिवर्ष शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता आ रहा है। चंदू सिंह का कहना है कि वह वर्तमान में उनका परिवार वंश की 12 वीं पीढ़ी है। 28 फरवरी से शुरू होने वाली मेले की तैयारी जोरों पर है। दुकानें सजने लगी है। एक मार्च को महाशिवरात्रि के दिन हरिद्वार से गंगाजल लेकर आने वाले का कांवडियों के अलावा क्षेत्र भर के श्रद्धालु मंदिर स्थित शिवलिंग में जलाभिषेक करेंगे।घटता बढ़ता रहता है शिवलिंग का आकार

– मंदिर में स्थापित शिवलिंग

दिनेशपुर। रामबाग स्थित प्राचीन शिव मंदिर के वर्तमान पुजारी चंदू सिंह लखचैरासिया ने बताया कि मंदिर परिसर में स्थित शिवलिंग का आकार समय-समय पर घटता बढ़ता रहता है।पिछले साल इस शिवलिंग का आकार करीब ढाई इंच बढ़ा था। मगर इस वर्ष शिवलिंग का आकार ज्यों का त्यों है।उन्होंने बताया कि मंदिर के आसपास कालांतर में खुदाई के दौरान कई मूर्तियां मिली थी। लेकिन उचित रखरखाव और देखभाल नहीं होने पर बेशकीमती मूर्तियां चोरी हो गई।मगर मंदिर परिसर में आज भी ब्रह्मा, विष्णु,महेश की संयुक्त खंडित त्रिमूर्ति के अलावा कई अन्य खंडित प्राचीन मूर्तियां मौजूद है।
फोटो दिनेशपुर। दिनेशपुर के पास स्थित रामबाग गांव का पौराणिक शिव मंदिर।

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