श्री शिव नाटक क्लब द्वारा आयोजित प्रभु श्री राम जी की लीला के मंचन के नवें दिन शुभारंभ उत्तराखंड विधान सभा के उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी,कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टी सी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया

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रिपोर्टर राजीव कुमार रूद्रपुर

श्री शिव नाटक क्लब द्वारा आयोजित प्रभु श्री राम जी की लीला के मंचन के नवें दिन शुभारंभ उत्तराखंड विधान सभा के उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी,कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टी सी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया
उनके साथ एस एस पी महोदय की धर्मपत्नी, भा ज पा नेता भारत भूषण चुघ,भरत शाह एवं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकार बंधु उपस्थित थे

श्री रामलीला मंचन में रावण मामा मारीच के पास पहुंचता है और उसे स्वर्ण मृग बनने को कहता है जिससे वो सीता का हरण कर सके, मारीच और रावण का भीषण संवाद होता है मारीच रावण को समझने की चेष्टा करता है परंतु रावण नहीं मानता और अंत में मारीच स्वर्ण मृग बनकर पंचवटी में जाता है जहां सीता माता जी उनको देखकर रीझ जाती हैं और प्रभु श्री राम से मृग को पकड़ कर लाने की आग्रह करती हैं प्रभु श्री राम स्वर्ण मृग का पीछा करते-करते दूर जंगल में निकल जाते हैं और वहां से मारीच, जो कि मृग बना होता है प्रभु श्री राम जी की आवाज में लक्ष्मण को पुकारता है सीता जी प्रभु श्री राम जी की आवाज सुनकर व्याकुल हो जाती हैं और लक्ष्मण को उनकी सहायता के लिए जाने को कहती हैं लेकिन लक्ष्मण उनको समझाने की कोशिश करता है लेकिन माता सीता जी उनकी बात को न मानकर बहुत व्याकुल होकर उसको प्रभु श्री राम जी की सहायता में जाने के लिए कहती हैं थक हार कर लक्ष्मण कुटिया के चारों ओर रेखा बनाकर वहां से चला जाता है और इतने में साधु रावण का कुटिया में प्रवेश होता है जब साधु रावण यह देखता है कि कुटिया के चारों एक रेखा बनी हुई है जिसके अंदर प्रवेश करना मुश्किल है तो वह षड्यंत्र रचकर माता सीता को उसे लक्ष्मण रेखा से बाहर बुलाता है और माता सीता का हरण करके लंका की ओर ले जाता है जटायु द्वारा रावण को रोकने की कोशिश की जाती है लेकिन रावण द्वारा जटायु का वध कर दिया जाता है प्रभु श्री राम माता सीता को पंचवटी में न देखकर बहुत व्याकुल होते हैं और विलाप करते हैं, विलाप करते-करते उनकी जंगल में शबरी से भेंट होती है शबरी उनको किष्किंधा पर्वत पर जाने का रास्ता बताती है और वहां पर प्रभु श्री राम जी से किष्किंधा के राजा सुग्रीव से भेंट होती है और उनकी आपस में मित्रता होती है

दर्शकों सभी कलाकारों की भूमिका को बहुत सराहा गया

विशेष भूमिकाओं में रावण जीतू गुलाटी, बूढ़ा मारीच नरेश घई, साधु रावण पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, सीता विशाल रहेजा, राम गौरव अरोरा,लक्ष्मण रवि कक्कड़,जटायु केशव नारंग, शबरी सनी घई, सुग्रीव विशांत भसीन, हनुमान सनी कक्कड़ द्वारा बहुत ही सुंदर अभिनय किया गया
मंच संचालन जौली कक्कड़ ने किया
श्री शिव नाटक क्लब द्वारा सभी अतिथियों का पटका ओढ़ाकर एवं बैच लगाकर सम्मानित किया गया एवं अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया
इस अवसर पर श्री शिव नाटक के सरपरस्त चिमन लाल ठुकराल, राजकुमार परुथी, रमेश गुलाटी,संजय ठुकराल, नरेश शर्मा ,सूरज प्रकाश सुखीजा, अध्यक्ष जगदीश सुखीजा, महासचिव राजकुमार भुसरी, कोषाध्यक्ष बबलू घई,उपाध्यक्ष बिट्टू अरोरा, अवतार सिंह खुराना, सचिव भारत हुड़िया,विजय परुथी, प्रचार मंत्री जगमोहन अरोरा, अक्षित छाबड़ा, राजीव झाम,राहुल अरोरा,अमर परुथी, अनमोल अरोरा,चिराग जुनेजा, हरीश जुनेजा,राजीव भसीन, अरुण अरोरा, राजदीप बठला,बंटी मुंजाल, नैतिक तनेजा,अनमोल घई,चेतन खनिजो, राकेश तनेजा,गौरव गांधी ,प्रवीण बत्रा, विशाल गुंबर, प्रवीण ठुकराल, पुष्कर नागपाल, मनीष अग्रवाल आदि उपस्थित थे

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