Friday, July 26, 2024

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रिपोर्टर राजीव गौड

उत्तराखण्ड राज्य में आन्तरिक सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों के मामले में देवभूमि रक्षा मंच ने सौपा ज्ञापन

रुद्रपुर।उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सरकारी भूमि से धर्म विशेष के अवैध धार्मिक स्थल हटाने के अभियान का हम हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करते हैं तथा आग्रह करते हैं कि इस प्रकार का अतिक्रमण पुनः न हो पाये इसके लिए संबंधित अधिकारियों एवं विभागों की जिम्मेदारी तय करने हेतु एक व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है।

उत्तराखण्ड में जहां एक ओर अनेकों विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, वही उत्तराखण्ड एक भौगोलिक विषमताओं वाला प्रान्त भी है तथा उत्तराखण्ड की सीमायें दो देशों से मिलती है जहां पर भारत विरोधी गतिविधि चरम पर है इसलिए उत्तराखण्ड प्रान्त जहां एक ओर धार्मिक महत्व का प्रान्त है वही सुरक्षा की दृष्टि से भी संवेदनशील प्रान्त है।

उत्तरदायित्व तय करने की व्यवस्था न होने के कारण सरकार के प्रयासों के बाद भी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर अवैध रूप से घुसपैठियों की बस्ती बनती जा रही है। जिससे इस संवेदनशील प्रान्त में जनसांख्कीय परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है।

मतान्तरण के प्रति सरकार की कठोर नीति एवं मतान्तरण पर कठोर कानून के बाद भी अधिकारियों एवं समाज में कानून के प्रति अनभिज्ञता के कारण मतान्तरण बहुत तेजी से बढ़ा है, इससे भी जनसांख्कीय परिवर्तन हुआ है।

पिछले कुछ समय से उत्तराखण्ड में मानव तस्करी बढ़ी है, यहां लड़के अपनी धार्मिक पहचान छुपाकर भोली भाली लड़कियों को बहला फुसला कर ले जाने की घटनायें लगातार बढ़ रही है, इसका मुख्य कारण बाहर से आने वाले लोगों का कड़ाई से सत्यापन न होना है जिसके लिए एक विश्वसनीय तथा उत्तरदायी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है।

नशे का प्रसार उत्तराखण्ड में कालेजों से निकल कर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पहुंच गया है जिसने यहां के युवाओं को दिशाहीन करना प्रारम्भ कर दिया है, उत्तराखण्ड प्रान्त बड़ी संख्या में भारतीय सेना में सैनिक भेजने वाला प्रांत है किन्तु कुछ समय में सुनियोजित तरीके से उत्तराखण्ड में नशे का प्रसार किया जा रहा है जो शहरों से सुदूरवर्ती गांव तक पहुंच गया है जिसके कारण यहां का युवा तेजी से नशे की ओर बढ़ रहा है। नशे के प्रसार के सुनियोजित षड्यन्त्र के विरुद्ध सरकार को गहन चिंतन कर एक उत्तरदायी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है जिसमें जनता का भी सहयोग लिया जा सकता है, इस पर सरकार तथा समाज के लोगों को संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।

राज्य में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा PIL NO 112 / 2015 महेन्द्र सिंह बनाम स्टेट आफ उत्तराखण्ड एवं अन्य मामलों में दिनांक 19.06.2018 को पारित विस्तृत आदेश का पालन पूर्ण रूप से नहीं हो पा रहा हैं तथा एक समुदाय विशेष के धार्मिक स्थलों से इस आदेश का खुल्लम खुला उल्लंघन हो रहा है तथा यदि पुलिस प्रशासन आदेश के अनुपालन का प्रयास भी करता है तब भीड़ के द्वारा इस प्रकार के प्रयासों को विफल कर दिया जाता है जिसका ताजा उदाहरण देहसूदन की घटना है जिसके बाद उपरोक्त आदेश के उल्लंघन को प्रशासन आंख मूद कर देखने को बाध्य हो गया। इस वर्ग में इस प्रकार की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है जो आन्तरिक सुरक्षा के लिए चुनौती है।

उत्तराखण्ड में नाम एवं पहचान बदलकर खाने पीने के स्टाल एवं अन्य व्यवसाय करने तथा समाज में रहने की घटनायें भी लगातार बढ़ रही है और यह इतनी बढ़ गयी है कि उत्तराखण्ड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भी नाम पहचान छिपा कर बड़ी संख्या में लोग व्यवसाय कर रहे हैं, जिससे लोगों की धार्मिक आस्था तो आहत होती ही है साथ ही आन्तरिक सुरक्षा तथा सामाजिक सद्भाव पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है इसके लिए भी एक उत्तरदायी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है। अतः महोदय से आन्तरिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर निम्न अपेक्षा है-

1. सरकारी भूमि से धार्मिक तथा आवासीय अतिक्रमण हटाकर पुनः अतिक्रमण न हो इसके लिए उत्तरदायी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है।

2. मतान्तरण के प्रति जवाबदेही तय करने की आवश्यकता है।

3. मानव तस्करी रोकने के लिए रोमियो स्क्वाड गठित करने तथा सत्यापन की उत्तरदायी व्यवस्था बनाये जाने की आवश्यकता है।

4. नशा तस्करी रोकने के लिए समाज की सहभागिता के साथ सुरक्षा एजेन्सियों को उत्तरदायी बनाने की आवश्यकता है।

5. ध्वनि प्रदूषण पर मा0 उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। 6. राज्य में नाम व पहचान बदकर कर व्यवसाय करने वाले लोगों का चिन्हिकरण तथा इस पर कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है।

आन्तरिक सुरक्षा के परिपेक्ष में उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर त्वरित एवं प्रभावी कार्यवाही की अपेक्षा है।

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