जुगनू खान काशीपुर। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन आशीर्वाद से इस वर्ष संत निरंकारी मिशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन दिनांक 21 जून 2022 को संपूर्ण भारत वर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय योग प्रशिक्षकों के निर्देशन द्वारा अपनी अपनी शाखाओं में खुले भवनों एवं पार्कों में आयोजित किया गया।जिसका आरंभ प्रातः 6:00 बजे से हुआ!
संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा (संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा द्वारा( वर्ष 2015 से ही योग दिवस का उत्साह पूर्वक आयोजन किया जाता रहा है। इस वर्ष के कार्यक्रम का आयोजन संत निरंकारी मंडल के सचिव आदरणीय श्री जोगिंदर सुखीजा के निर्देशन में संपूर्ण भारत वर्ष में किया गया।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज अक्सर अपने विचारों में यही फरमाते हैं कि आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ हमें शारीरिक एवं मानसिक रूप में स्वस्थ रहना अति आवश्यक है। इस योग दिवस का उद्देश्य भी यही है कि सभी में एकाग्रता और सामुदायिक सामंजस्य की भावना का संचार हो! जिससे कि जीवन शैली को और बेहतर एवं उत्तम ढंग से जीया जा सके। वर्तमान समय में जहां तनावपूर्ण एवं नकारात्मक विचारों का प्रभाव हर व्यक्ति पर है, ऐसे समय में परमात्मा ने हमें जो यह मनुष्य तन दिया है, इसकी संभाल योग के माध्यम से अपनी ज्ञानेंद्रियों को जागृत करके आध्यात्मिकता से युक्त जीवन जीया जा सकता है।
काशीपुर संत निरंकारी सत्संग भवन पर आज प्रातः 7:00 बजे से 8:30 बजे तक कुशल प्रशिक्षकों श्रीमती राजेश गुप्ता, श्रीमती पूनम जी, रेनू जी, श्री दयाशंकर जी, श्री धर्मेंद्र जी द्वारा उपस्थित निरंकारी भाई बहनों को योग के फायदे बताते हुए योग कराया गयाऔर निरंतर योग करने की प्रेरणा दी। आज इस अवसर पर अनेकों निरंकारी संतों ने इसमें भागेदारी की। स्थानीय जिम्मेदार महात्मा राजेंद्र अरोरा जी ने सत्संग भवन पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में सम्मिलित होने पर यह जानकारी देते हुए अत्यंत खुशी जाहिर की कि संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा समय-समय पर इस प्रकार के आयोजन होते चले आए हैं।
योग भारत की प्राचीन परंपरा की अमूल्य देन है। यह मन और शरीर की एकता का प्रतीक है। यह केवल व्यायाम रूप में नहीं अपितु यह सकारात्मक भावों को जागृत करके तनाव मुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देता है। योग द्वारा अपने जीवन को सहज एवं सक्रिय रूप से स्वस्थ होकर जीया जा सकता है। वर्तमान समय में तनाव मुक्त जीवन जीने हेतु योग की नितांत आवश्यकता है और इस संस्कृति को विश्व के लगभग सभी देशों द्वारा अपनाया जा रहा है