प0 गोविन्द वल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के आयोजित श्री अन्न महोत्सव कार्यक्रम में पहुचे राज्यपाल

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राजीव कुमार ब्यूरो चीफ उधम सिंह नगर

 

प0 गोविन्द वल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के आयोजित श्री अन्न महोत्सव कार्यक्रम में पहुचे राज्यपाल

पंतनगर राज्यपाल ले0जन0 (सेनि0) गुरमीत सिंह ने अपने एक दिवसीय जनपद भ्रमण के दौरान प0 गोविन्द वल्लभ पंत कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के आयोजित श्री अन्न महोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के रूप में प्रतिभाग किया। राज्यपाल ने दीप प्रज्जवलित कर श्री अन्न महोत्सव का शुभारम्भ किया। महामहिम को कुलपति श्री चौहान ने अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट किया। महामहिम ने प्रगतिशील किसानों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया व किसानों को पशुचिकित्सा प्राथमिक उपचार किट वितरित किए तथा मिलेट्स का लोगो एवं पुस्तिकाओं का विमोचन किया।
इससे पूर्व महामहिम राज्यपाल ने श्री अन्न महोत्सव में लगे स्टालों का निरीक्षण किया व गांधी हॉल जीर्णाेद्धार कार्य का लोकार्पण किया।
महामहिम राज्यपाल ने श्री अन्न महोत्सव के शुभारम्भ के शुभ अवसर पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जब हम देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरती पर “श्रीअन्न महोत्सव” के उद्घाटन के लिए एकत्र हुए हैं, मेरा हृदय अत्यंत प्रसन्नचित और कृतज्ञ है। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजकों, उत्तराखण्ड के इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय परिवार और सभी उपस्थित महानुभावों को शुभकामनाएं दीं।
श्री सिंह ने कहा कि आज का यह महोत्सव केवल कृषि का उत्सव नहीं है, यह हमारे आहार, स्वास्थ्य, संस्कृति और जीवन दर्शन का उत्सव है। मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण का आधार है। “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और स्वस्थ मन में ही स्वस्थ राष्ट्र की परिकल्पना संभव है।” उन्होंने कहा कि आजकल स्वास्थ्य हर व्यक्ति के लिए एक प्रमुख मुद्दा है, हर व्यक्ति स्वस्थ्य एवं फिट रहना चाहता है, इसके लिए कोई जिम जा रहा है, कोई सुबह की सैर करता है कोई योग करता है। सभी लोग पहले के मुकाबले अधिक जागरूक हो गए है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारा खान-पान हमारे स्वस्थ्य पर कितना असर ड़ालता है निःसंदेह 100 प्रतिशत!!
महामहिम ने कहा कि भारतीय संस्कृति में भोजन को केवल पेट भरने का साधन नहीं माना गया, बल्कि इसे यज्ञ का अंश समझा गया है। हमारे ऋषियों ने हजारों वर्ष पूर्व आहार और स्वास्थ्य का जो संबंध बताया, वही आज आधुनिक विज्ञान प्रमाणित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे ऋग्वेद में आहार की महत्ता के बारे में कहा है- “अन्नं वै प्राणिनां प्राणः”। अर्थात् अन्न ही प्राणियों का प्राण है। इसी प्रकार भोजन की शुद्धता के बारे में छांदोग्य उपनिषद कहता है- “आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः, सत्त्वशुद्धौ ध्रुवा स्मृतिः”। अर्थात् जब आहार शुद्ध होता है तो मन शुद्ध होता है, और जब मन शुद्ध होता है तो स्मृति और आत्मज्ञान दृढ़ होते हैं। हमारे पूर्वजों ने संतुलित आहार को इतना महत्व दिया कि उसे सीधे-सीधे आत्मा और ब्रह्मज्ञान से जोड़ा। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में स्वास्थ्य एक वैश्विक चिंता है। मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग और तनाव जैसी बीमारियाँ जीवनशैली से जुड़ी समस्याएँ हैं। मेरा मानना है – जो व्यक्ति आहार-विहार, कार्य और विश्राम में संतुलन रखता है, वही जीवन के दुःखों से मुक्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि श्रीअन्न यानी मिलेट्स या सुपर ग्रेन्स दृ इनमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, खनिज और विटामिन्स होते हैं। ये ग्लूटेन-फ्री होते हैं, मधुमेह और मोटापे के लिए रामबाण हैं, पाचन को सुधारते हैं और शरीर में नई ऊर्जा का संचार करते हैं।
महामहिम ने कहा कि हमारा उत्तराखंड श्रीअन्न उत्पादन के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। यहाँ की जलवायु, मिट्टी और परंपराएँ श्रीअन्न को प्राकृतिक वरदान प्रदान करती हैं। मंडुआ (रागी), झंगोरा, कोदा, कौणी, सांवा, रामदाना -ये फसलें उत्तराखंड की पहचान हैं। हमारे पर्व और त्योहार इन व्यंजनों से जुड़े हुए हैं। झंगोरे की खीर, मंडुए की बर्फी, मंडुए की रोटी, रामदाने के लड्डू ये केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि परंपरा और पोषण का संगम हैं। उन्होंने कहा कि श्री अन्न की फसल कम पानी में उगाए जा सकने, शुष्क और गर्म दोनों जलवायु में अच्छा उत्पादन देने, कम रख-रखाव लागत में अच्छी फसल देने के करण यह किसानों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं, निश्चित ही इनके उत्पादन से किसानों की आय में भी गुणेत्तर वृद्धि होगी।
श्री सिंह ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड योग और आयुर्वेद की जननी है। यहाँ से दुनिया ने संतुलित जीवन का संदेश पाया है। योग शरीर और मन को शुद्ध करता है, आयुर्वेद रोगों से रक्षा करता है और श्रीअन्न शरीर को पोषण देता है। स्वास्थ्य के महत्व के बारे में चरक संहिता में कहा गया है-“धर्मार्थकाममोक्षाणां आरोग्यं मूलमुत्तमम्। आरोग्यं हीनता सर्वंनास्ति सुखमनुत्तममश् अर्थात-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों का मूल स्वास्थ्य है। स्वास्थ्य के बिना जीवन में कोई भी सुख या लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसलिए यदि हमें “फिट इंडिया” और “फिट उत्तराखंड” का सपना साकार करना है, तो योग, आयुर्वेद, श्रीअन्न और संतुलित जीवनशैली को अपनाना होगा।
महामहिम राज्यपाल ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ सैनिक ही सशक्त राष्ट्र के प्रहरी होते हैं। यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि पंतनगर विश्वविद्यालय ने भारतीय सेना के साथ मिलकर सैनिकों के भोजन में श्रीअन्न शामिल करने का समझौता किया है। यह कदम हमारे सैनिकों की सेहत और उनके मनोबल को बढ़ाने वाला है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि पंतनगर विश्वविद्यालय ने श्रीअन्न की कई किस्में विकसित की हैं जो आज भी किसानों के बीच लोकप्रिय हैं। हाल ही में जनरल बिपिन रावत पर्वतीय शोध निदेशालय की स्थापना हुई है, जिसका उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में श्रीअन्न उत्पादन और शोध को बढ़ावा देना है। यह एक अत्यंत सराहनीय कदम है। मुझे उम्मीद है कि ऐसा होने से श्रीअन्न का क्षेत्रफल भी बढ़ेगा, उत्पादन भी बढ़ेगा एवं किसानों की आमदनी में भी उत्तरोत्तर वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि श्रीअन्न के विकास एवं उनके व्यंजनों के विकास हेतु इस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे प्रयोगों का सीधा लाभ किसानों, सैनिकों एवं आमजनों को मिलेगा, मैं इस क्षेत्र से जुड़े सभी वैज्ञानिकों एवं कार्मिकों का दिल की गहराईयों से धन्यवाद देना चाहता हूं, मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनके यह प्रयास प्रदेश एवं देश के लिए अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगें।
श्री सिंह ने कहा कि मुझे यह जानकर गर्व है कि उत्तराखंड सरकार श्रीअन्न उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। किसानों को प्रशिक्षण, बीज उपलब्धता, बाजार सुविधा और उत्पादों का ब्रांडिंग उपलब्ध कराया जा रहा है। श्रीअन्न हर भारतीय की थाली का हिस्सा हो, इसके लिए केंद्र सरकार श्रीअन्न आधारित उत्पादों के प्रचार-प्रसार, निर्यात और किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन देने की दिशा में बड़े कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के किसानों का भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान है। यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत के किसानों की मेहनत रंग ला रही है। पिछले वर्ष हमारे देश के किसानों ने अनाज उत्पादन में पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। आज जब किसानों को बेहतर सुविधाएँ मिलने लगी हैं, तो वो कृषि उत्पादन में रिकार्ड बना रहे हैं। आज भारत दूध, दाल और जूट के उत्पादन में दुनिया में नंबर वन है। चावल, गेहूँ, फल और सब्ज़ियों के उत्पादन में भी दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुँच गया है। उन्होंने कहा कि हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 2023 को “अंतर्राष्ट्रीय श्रीअन्न वर्ष” घोषित करवाने में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने बार-बार कहा है कि “श्रीअन्न केवल अनाज नहीं, बल्कि यह भारत की सॉफ्ट पावर और भविष्य की ऊर्जा है।“ उन्होंने कहा कि मैं आपके सामने एक चिंता का विषय भी रखना चाहता हूँ। हम सभी को इसे गंभीरता से लेना चाहिए-मोटापा हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में, हर तीन में से एक व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त होगा। हमें मोटापे से खुद को बचाना होगा। अभी हाल ही में 15 अगस्त 2025 को लालकिले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वास्थ्य पर बल देते हुए मोटापा कम करने और संतुलित जीवनशैली अपनाने की अपील की। प्रधामन्त्री जी ने एक छोटा सा लेकिन महत्वपूर्ण सुझाव दिया कि- “हर परिवार यह संकल्प ले कि जब घर में खाना पकाने का तेल आए, तो वह सामान्य से 10 प्रतिशत कम हो, और उसका उपयोग भी 10 प्रतिशत कम हो। ऐसा करके, हम मोटापे के खिलाफ लड़ाई जीतने में अपना योगदान दे सकते हैं।“
महामहिम ने कहा कि आज जब हम विकसित भारत 2047 का सपना देखते हैं, तो उसमें केवल तकनीक या आर्थिक प्रगति ही नहीं, बल्कि स्वस्थ और सशक्त नागरिक भी आवश्यक हैं। योग, आयुर्वेद, श्रीअन्न और जैविक खेती दृ यही हमारी धरोहर है और यही भविष्य का समाधान है। यह निश्चित है कि भारत का भविष्य तकनीकी शक्ति के साथ-साथ स्वस्थ, सशक्त और संतुलित जीवनशैली से तय होगा। और इस दिशा में श्रीअन्न हमारे लिए वरदान है। उन्होंने कार्यक्रम में पहुँचे सभी आगतुकों से यही आग्रह करते हुए कहा कि अपने भोजन में श्रीअन्न को नियमित रूप से शामिल कीजिए। बच्चों और युवाओं को श्रीअन्न आधारित व्यंजन खाने की आदत डालिए। किसान भाई-बहनों को श्रीअन्न की खेती के लिए प्रेरित कीजिए। उन्होंने वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों से भी आग्रह किया कि वे श्रीअन्न पर और शोध करें और इसके नए उत्पाद विकसित करें।
महामहिम राज्यपाल ने कहा कि “स्वस्थ भारत ही विकसित भारत का आधार है।” आइए! हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि श्रीअन्न को केवल अतीत की परंपरा न मानकर भविष्य की आवश्यकता बनाएँ।
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कुलपति प्रो0 मनमोहन सिंह चौहान ने सभी अतिथियों का स्वागत किया व विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा,निदेशक शोध डॉ अजीत सिंह नैन, डॉ एएस जीना, डॉ पीके सिंह, डॉ एसके द्विवेदी, कर्नल ढिल्लन, कर्नल अजीत, सीएमओ डॉ केके अग्रवाल, डैम बीएस चलाल सहित अनेक अधिकारी, डीम, डायरेक्टर, किसान, जवान, विद्यार्थी मौजूद थे।

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