जुगनू खान काशीपुर
कभी कांग्रेस का गढ़ रहे काशीपुर में कांग्रेस द्वारा निकाली गई “कांग्रेस से जुड़िये” यात्रा रही फ्लॉप
काशीपुर। कभी कांग्रेस का गढ़ रहे काशीपुर में शुक्रवार सायं निकाली गई “कांग्रेस से जुड़िये” यात्रा पूरी तरह फ्लॉप बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि यात्रा की सफलता के लिए प्रचार-प्रसार में कमी इसकी मुख्य वजह है। काशीपुर में शुक्रवार सायं किला तिराहा से एमपी चौक तक “कांग्रेस से जुड़िये” यात्रा निकाली गई, जिसमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सम्मिलित होकर आमजन से कांग्रेस से जुड़ने का आहवान किया, लेकिन उनका यह आहवान कितना सफल रहा इसकी बानगी मौके पर कुछ अलग ही देखने को मिली। आमजन तो छोड़िए, पर्याप्त मात्रा में कांग्रेसी भी इस यात्रा में नजर नहीं आए। वो भी ऐसे में जब निकाय चुनाव नजदीक हैं और कांग्रेस से करीब दर्जन भर नेता इस चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करते नहीं थक रहे हैं। बताते चलें कि कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहे काशीपुर में कांग्रेस पिछले करीब 35 वर्षों से कोई करिश्मा नहीं दिखा पा रही है। निकाय और विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत नसीब नहीं हो सकी है। अभी हाल पार्टी आलाकमान ने काशीपुर में महानगर अध्यक्ष का चेहरा बदल दिया। बदले चेहरे ने दो-चार वार्डों में मीटिंग कर दावा ठोका कि काशीपुर में कांग्रेस मजबूती से आगे बढ़ रही है। इस दावे की हवा “कांग्रेस से जुड़िये” यात्रा ने पूरी तरह निकाल दी। यात्रा के दौरान लोगों को कहते सुना गया कि बस यही कांग्रेसी बचे हैं काशीपुर में। उस काशीपुर में जहां कभी किसी और दल का नामोनिशान तक नहीं था। सुना तो यह भी गया कि चालीस वार्डों में यदि दस-दस व्यक्ति जोड़े जाते और चुनाव में दावेदारी पेश करने वाले नेता यदि अपने साथ दस-बीस समर्थक भी ले आते तो इस कार्यक्रम की तस्वीर कुछ और ही होती। एमपी चौक पर जब हरीश रावत अपना संबोधन दे रहे थे तो मात्र तीस-चालीस कांग्रेसियों के अलावा वहां कोई नहीं था। हास्यास्पद ये कि इन तीस-चालीस में से कुछ फोटो खींचने, तो कुछ फोटो खिंचवाने में जुटे थे। आमजन को तो जैसे इस कार्यक्रम से कोई सरोकार था ही नहीं। होता भी क्यों, चर्चा है कि कर्नाटक की जीत से उत्साहित कांग्रेसियों ने “कांग्रेस से जुड़िये” यात्रा का व्यापक प्रचार करना जरूरी नहीं समझा। बहरहाल, काशीपुर में निकाली गई “कांग्रेस से जुड़िये” यात्रा अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है। इन सवालों में एक अहम सवाल ये कि काशीपुर में कांग्रेस अपना वजूद किस तरह कायम रख पाएगी।