भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून की बायोडीजल उत्पादन यूनिट शीघ्र ही काशीपुर में अपना कार्य शुरू कर देगी…डॉ नीरज आत्रेय

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून की बायोडीजल उत्पादन यूनिट शीघ्र ही काशीपुर में अपना कार्य शुरू कर देगी…डॉ नीरज आत्रेय

काशीपुर। भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून की बायोडीजल उत्पादन यूनिट शीघ्र ही काशीपुर में अपना कार्य शुरू कर देगी। इस यूनिट में खाद्य तेलों के अपशिष्ट को इस्तेमाल करके बायोडीजल बनाया जाएगा। वैज्ञानिक डा. नीरज आत्रेय ने बताया कि यूनिट की लॉन्चिंग दिवगंत पूर्व सांसद सत्येंद्र चंद्र गुड़िया की 13वीं पुण्य तिथि पर 24 अप्रैल को की जायेगी। गौरतलब है कि देश में पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों ने लोगों की कमर तोड़ रखी है। इस माहौल में उत्तराखंड में खराब तेल से बायोडीजल तैयार किया जायेगा, ताकि लोगों को डीज़ल और पेट्रोल की बढ़ती मंहगाई से राहत मिल सके। इसकी शुरूआत उत्तराखंड में भारतीय पेट्रोलियम संस्थान ने की और इसका पहला प्लांट उत्तराखंड के जनपद ऊधमसिंहनगर में पिछले वर्ष लगाया गया। डा. आत्रेय ने बताया कि विश्व पटल पर ईंधन के रूप में पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती मांग और घटती उपलब्धता चिंता का विषय बनी हुई है। भारत भी इससे अछूता नही है। हमारे देश में अपनी जरूरत का मात्र 20 फीसदी पेट्रो ईंधन ही पैदा होता है। शेष लगभग 8 लाख करोड़ का ईंधन आयात किया जाता है, लेकिन अब यह समस्या शीघ्र ही हल हो जाएगी। उन्होंने बताया कि दिवगंत पूर्व सांसद सत्येंद्र चंद्र गुड़िया की 12वीं पुण्य तिथि पर पिछले वर्ष भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून के निदेशक डॉ अंजन रे ने सत्येंद्र चंद्र गुड़िया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड लॉ कॉलेज को राज्य सरकार से आवंटित 10 एकड़ भूमि पर बायो डीज़ल प्लांट लगाने की घोषणा की थी। इस वर्ष 24 अप्रैल को श्री गुड़िया की पुण्यतिथि पर यूनिट अपना कार्य शुरू कर देगी। उन्होंने बताया कि बायोडीजल जैविक स्रोतों से प्राप्त, डीजल के समान ईंधन है जिसे परम्परागत डीजल इंजनों में बिना कोई परिवर्तन किए इस्तेमाल कर सकते हैं। सामान्य तापमान पर खाद्य तेलों के अपशिष्ट, तबेले और मछली उत्पादन केंद्रों के अपशिष्ट से ग्राम स्तर पर आसानी से किफायती बायो डीज़ल का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसे बनाना बहुत आसान है। भारत प्रतिवर्ष लगभग आठ लाख करोड़ का ईंधन आयात करता है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर लोगों को प्रशिक्षित करके बायोडीजल का उत्पादन करते हुए तेलों के आयात को कम कर सकते हैं। बताया कि अपशिष्ट खाद्य तेलों को होटल-ढाबों से लगभग 25 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से खरीदते हैं और एक लीटर बायोडीजल बनाने में लगभग 50 रुपये का खर्च आता है। डा. आत्रेय ने कहा कि जिस तरह से विश्व पटल पर ईंधन की कीमत बढ़ रही है, ऐसे में हम देश के अपने स्रोतों से बायोडीजल का उत्पादन कर आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ सकते हैं

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