प्रथम पुण्यतिथि पर रंगकर्मी डॉअभिजीत का नमन

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तराई में रंगकर्म को प्रोत्साहित करने मे थी अहम भूमिका

दिनेशपुर।तराई के प्रख्यात रंगकर्मी, अभिनेता, लेखक, निर्देशक डॉ अभिजीत मंडल की प्रथम पुण्यतिथि पर रंगकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों और मीडिया कर्मियों ने उन्हें श्रद्धांजलि देकर उनका भावपूर्ण नमन किया। इस दौरान उनके जीवनकाल पर चर्चा की गई और नगर में निर्माणाधीन ऑडिटोरियम का नामकरण उनके नाम से करने की मांग की गई। प्रेस क्लब की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सभी ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करके उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। भारतेंदु नाट्य अकेडमी लखनऊ से स्नातक डॉ अभिजीत प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय रंगकर्मी हबीब तनवीर के जीवन पर पीएचडी करके डॉक्टरेट की उपाधि अर्जित की थी। उन्होंने हबीब साहब के साथ एक दशक से अधिक समय तक काम किया था। हबीब जी के साथ उन्होंने “देख रहे हैं नैन”सहित दर्जनों नाटकों में अभिनय किया था।नाटको के शो इंग्लैंड, स्कॉटलैंड सहित यूरोप के तमाम देश में हुए थे। रंगकर्मी शिक्षक रवि सरकार ने बताया की तराई में रंगकर्म को डॉ अभिजीत ने नए आयाम दिए थे। वर्ष 1997 में नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन की “फिल्म जीत गई सुमित्रा” में डॉअभिजीत ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। रंगकर्मी मनोज राय ने बताया दिल्ली में रहकर उन्होंने वर्षों तक थिएटर, फिल्म, टीवी और कई धारावाहिकों में काम किया था।लेखक पद्दोलोचन विश्वास ने बताया डॉ अभिजीत ने प्रसिद्ध अभिनेता गिरीश कर्नाड, पंकज कपूर, निर्मल पांडे, नंदिता दास सहित कई कलाकारों के अलावा दूरदर्शन में आने वाले नीम का पेड़ सहित अन्य नाटकों में अभिनय किया। समाजसेवी हिमांशु सरकार ने बताया वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनको नाटक में अभिनय के साथ निर्देशन में दक्षता थी। उनके लिखित नाटक “लोहे का घोड़ा” बांग्ला नाटक “रूपकथा” काफी चर्चित हुआ था। दूरदर्शन में आने वाले “नीम का पेड़” उनके चर्चित नाटकों में थे। शैलनेट के हेम पंत ने बताया उन्होंने कई प्रतिभाओं को निखारा था।उनकी संस्था के लिए उन्होंने कई नाट्य कार्यशालाओ का आयोजन किया।महिला कल्याण समिति की संयोजिका हीरा जंगपांगी ने बताया तराई में रंगकर्म को मजबूत करने में उनकी अहम भूमिका रही थी।वे संवाद न्यूज़ एजेंसी से जुड़े सरोज मंडल के बड़े भाई थे। उन्होंने जिंदगी को रंगकर्म के लिए समर्पित कर दिया था।प्रेस क्लब अध्यक्ष दुलाल चक्रवर्ती ने कहा डॉ अभिजीत सभी पत्रकारो के भी प्रेरणास्रोत थे। रंगकर्म के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता। वहां सत्यप्रकाश सिंह , मृत्यूंजय सरकार, एल बी राय, अमित सक्सेना,दिवेन्दु राय,ब्रिजकिशोर,नोनी बढोई, केशव पाइक,प्रकाश अधिकारी, राहुल विश्वास,किशोर हालदार आदि मौजूद थे।

 

दिनेशपुर। दिनेशपुर में रंगकर्मी डॉ अभिजीत के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित करते लोग

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